लोगों की राय

कविता संग्रह >> पहली बार

पहली बार

सन्तोष कुमार चतुर्वेदी

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7714
आईएसबीएन :978-81-263-1695

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

279 पाठक हैं

युवा कवि सन्तोष चतुर्वेदी का पहला कविता संग्रह...

Paheli Baar - A Hindi Book - by Santosh Kumar Chaturvedi

‘पहली बार’ युवा कवि सन्तोष चतुर्वेदी का पहला संग्रह है–लेकिन इसे पढ़कर जिस बात ने मेरा ध्यान सबसे पहले आकृष्ट किया वह उसकी कविताओं का पहलापन नहीं, बल्कि उनकी एक सुगठित बनावट है, जो परिपक्वता की माँग करती है। मुझे यह कहने में कतई संकोच नहीं कि इस युवा कवि ने एक सहज शिल्प की वह परिपक्वता अर्जित कर ली है, जो लम्बे काव्यानुभव के बाद प्राप्त होती है। यहाँ कविताओं का फलक ‘प्रेम की बात’ से ‘माचिस’ की तीली तक फैला हुआ है और कुछ इस तरह कि निजी और सार्वजनिक संवेदना के रसायन घुल-मिल गये हैं। यह कवि पूर्वी उत्तर प्रदेश के उस हिस्से से आता है, आज जिसे पूर्वांचल कहा जाता है। खोजने पर कई ऐसे अनुभव-सन्दर्भ यहाँ मिल सकते हैं जो कवि की ज़मीन का पता देते हैं। मेरे जैसे पाठक को ऐसे संकेतों में कवि का वह चेहरा दिखाई पड़ता है जो उसे अन्यों से अलग करता है। आगे वह चेहरा एक नयी चमक के साथ सामने आएगा–बल्कि आता रहेगा–यह संग्रह इसकी गहरी आश्वस्ति देता है।

अपनी बनावट में ये कविताएँ सहज सम्प्रेष्य हैं। यह कवि अपने समय के संकटों से रू-ब-रू तो होता है, पर एक उम्मीद के साथ। यह कवि की संवेदना का एक ऐसा महीन धागा है जो सारी कविताओं में फैला हुआ है–लगभग माचिस कविता की उस तीली की तरह जो ‘सब की जुदा-जुदा ज़िम्मेदारियों और ज़रूरतों में अनवरत शामिल है।’

‘रास्ते नहीं चाहते–कोई बोले उनकी जयजयकार’ –यह पंक्ति लिखनेवाले इस कवि की यह उक्ति वस्तुतः उसके सर्जनात्मक आत्म-विश्वास को सूचित करती है–क्योंकि वह जानता है कि ‘रास्तों से कहीं न कहीं मिल जाते हैं रास्ते–दुनिया का नया मानचित्र खींचते हुए।’

मुझे विश्वास है, नये मानचित्र के आकांक्षी इस कवि की आवाज दूर तक और देर तक सुनी जाएगी।

–केदारनाथ सिंह

सन्तोष कुमार चतुर्वेदी

जन्म : 2 नवम्बर, 1971, हुसेनाबाद, ज़िला बलिया (उ.प्र.)।

प्राथमिक शिक्षा गाँव में। उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से। ‘प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व’ तथा इतिहास विषय से एम.ए., एल.एल.बी., पत्रकारिता तथा जनसंचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा। प्राचीन इतिहास से डी.फिल.।

सम्प्रति :एम.पी.पी. कॉलेज, मऊ, जिला चित्रकूट में इतिहास के वरिष्ठ प्रवक्ता। अनियतकालीन पत्रिका ‘कथा’ के सहायक सम्पादक।

सम्पर्क : द्वारा चैतन्य नागर, टमरिंड ट्री, 60-सी, थार्नहिल रोड, शक्तिविहार कॉलोनी, इलाहाबाद (उ.प्र.)


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book